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ये नहीं कि समस्या का कुछ हो ही नहीं सकता...

ऐसा होता है कई बार, पर इसका मतलब इसका मतलब है कि आप जीवित हैं। आप को जगना है कुछ करना है। ये नहीं कि समस्या का कुछ हो ही नहीं सकता, ऐसा हो सकता है कि अभी अंधेरा है मुझे रास्ता नहीं दिख रहा तो मैं अंधा हो गया, धीरज रखें सूरज निकलेगा, रास्ता नजर आयेगा, काम होगा। समस्या तो हमें जीना सिखाती है। समस्या हमें जगाती हैं। समस्या हमें कुछ करने पर मजबूर करती है। समस्या को ज्यादा संकट ना समझे बस लगे रहे सब सही होगा। एक आदमी को बहुत सारी समस्या थी हमेशा दुखी रहता था भगवान से प्रार्थना करता रहता था यहां वहां मित्र पड़ोसी साधु संतों के चक्कर में ही रहता था। एक बार भगवान प्रकट हो गये बोले वत्स आप जैसे भद्र पुरुष के लिए ये धरती सही नहीं है चलो मेरे साथ चलो। उसने झट से भगवान के चरणों में लोट गया कहने लगा, नहीं प्रभु ऐसी तो कोई बात नहीं है मैं तो मज़ाक कर रहा था। समस्या सब को है अब भगवान की समस्या सुने उन्होंने कर्ण को बताया था। कृष्ण : कर्ण, मेरा जन्म मेरे ही मामा के कारागार में हुआ। कृष्ण : जन्म से पहले ही मृत्यु मेरी प्रतीक्षा में घात लगाए थी। कृष्ण : जिस रात मेरा जन्म हुआ था उसी रात को मुझ

जी हां पति भी भगवान है यदि हमारी पत्नी लक्ष्मी है तो उसके पति विष्णु ही हुए।

जी हां पति भी भगवान है यदि हमारी पत्नी लक्ष्मी है तो उसके पति विष्णु ही हुए। जिन्होंने माना महसूस किया उन्हें सर्वस्य मिला। जो पत्थर में भगवान् को देखेगा वहीं भगवान से मिलेगा। मेरे एक मित्र हैं अक्सर उनके पास बैठता था, वो बता रहे थे कि जब भी रात को वो सोने जाते हैं उनकी पत्नी उनका पैर दबाती है। मैं कहा कि अभी तो वो 50 के हो गये। उन्होंने कहा हां जी……फिर कहें कि मना करता हूं तो नहीं मानती, कहती हैं कि उसे उसका काम करने दीजिए। तो सहमत हो गये। बोलते थे भाई एक बात है जब वो पैर दबाती है तो मैं सच में महसूस करता है कि वो लक्ष्मी है और मैं विष्णु हूं। भरपुर धन धान्य, बहुत खुशहाली थी। सर्व सुख शांति और प्यारा सा परिवार था। चलता रहा समय, वो सुन्दर जोड़ी मैं देखता बहुत खुश होता था। मैं घर पर आकर बताता भी था, मेरे घर के लोग भी बोलते थे कि अच्छे हैं सब। मैं काफी दिनो बाद अभी मिला उन से करीब 10 साल बाद, नौकरी के कारण मैं भी मुंबई में रह गया था। उनके पास बैठा था, मैं देख रहा था सब बिखरा सा था, धन धान्य नहीं बचा था, जोड़ी तो वहीं थी। पर चेहरे पर सुख संतोष नहीं थे। सब कुछ खत्म था। लक्ष्मी लक्ष्मी